IVF प्रक्रिया का स्टेप-बाइ-स्टेप  गाइड

 IVF प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है जिनमें शामिल हैं – ओवेरियन स्टुमिलेशन, महिला की ओवरी से एग निकालना, पुरुष से स्पर्म प्राप्त करना, फर्टिलाइजेशन और महिला के गर्भ में भ्रूण स्थानांतरण। आईवीएफ के एक साइकिल में लगभग दो से तीन सप्ताह लग सकते हैं, और एक से अधिक साइकिल (IVF Cycle) की आवश्यकता हो सकती है।

एक से अधिक एग की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि कुछ अंडे निषेचन (फर्टिलाइजेशन) के बाद सामान्य रूप से निषेचित या विकसित नहीं होते हैं।का कारण बनता है। 

ज़्यादा अंडो के विकास के लिए इंजेक्शन

इंजेक्शन के 10 से 12 दिन के बाद, एक विशेष सक्शन क्रियाविधि की मदद से विकसित अंडो को बहार निकाला जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान महिला को एनेस्थीसिया दिया जाता है जिससे उसे दर्द का अनुभव न हो सके।

अंडो को प्राप्त करने की प्रक्रिया

अंडो को निकालने के बाद, पुरुष के शुक्राणु का सैंपल लिया जाता है। इस सैम्पल को जांच के लिए लैब में भेजा जाता है। जहाँ शुक्राणु के सैंपल को साफ़ करने के बाद सबसे अच्छे और स्वस्थ शुक्राणु का चयन करते है।

शुक्राणु या वीर्य  का सैंपल

डों और शुक्राणु को प्राप्त करने के बाद फर्टिलाइज़ेशन की प्रक्रिया की जाती है। एक अंडे को फर्टिलाइज़ करने के दो तरीके हैं, इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) or इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI)

अंडे और शुक्राणु का निषेचन

अंडे और शुक्राणु के फर्टिलाइज़ेशन के बाद तैयार हुए भ्रूण को इनक्यूबेटर में रखते है, जहाँ भ्रूण को विकसित होने और बढ़ने के लिए उचित वातावरण मिलता है। फर्टिलाइज़ेशन के बाद पाँचवे दिन भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट स्टेज में विकसित हो जाता है और तब तक वह एक एम्ब्रियोलॉजिस्ट की निगरानी में रहता है।

एम्ब्र्यो कल्चर

क बार जब भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट स्टेज में विकसित हो जाता है, तो इसे कैथेटर की मदद से गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। भ्रूण के गर्भाशय में ट्रांसफर के बाद वह गर्भाशय की परत पर प्रत्यारोपित (इमप्लांट) हो जाता है

एम्ब्र्यो ट्रांसफर(भ्रूण स्थानांतरण)