उम्र बढ़ने के साथ क्यों होती है अण्डों में खराबी

बांझपन किसी भी रिश्ते में दूरियां पैदा कर देता है। शारीरिक रूप से स्वस्थ दिखाने वाली कई महिलाएं अण्डे खराब होने के कारण संतान सुख से वंचित रह जाती है, काफी प्रयासों के बाद भी जब गर्भधारण नहीं होता है

गर्भधारण में अण्डों का महत्व

महिला के मासिक धर्म से उसके अंडाशय में अण्डों को निर्माण आरम्भ होता है, इनमें से एक अंडा परिपक्व होकर फैलोपियन ट्यूब में आता है इस दौरान संबंध बनाने से शुक्राणु अंडे को निषेचित करता है और भ्रूण बन जाता है

महिला के अण्डाशय में जन्म से ही अण्डों की संख्या निर्धारित होती है, माहवारी शुरू होने के साथ ही हर माह अण्डे खर्च होते रहते है, एक उम्र के बाद अण्डे समाप्त हो जाते हैं और महिला की माहवारी बंद हो जाती है

अंडों की संख्या

डोनर एग की जरूरत किन महिलाओं को

ऐसी महिलाओं जिनकी माहवारी बंद हो चुकी है यानि उनके अण्डे समाप्त हो चुके है ऐसी महिलाएं जिन्हें हॉर्मोन के इंजेक्शन के द्वारा भी अण्डा नहीं बनाया जा सकता है

डोनर एग अपनाने की प्रक्रिया

डोनर एग की प्रक्रिया सरकार के एआरटी बिल के अधीन आती है, यह एक कानूनी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में अण्डा डोनर करने वाली और अण्डा लेने वाली दोनों महिलाओं की लिखित सहमति ली जाती है। साथ ही दोनों की पहचान आपस में गुप्त रखी जाती है।

डोनर एग प्रक्रिया के दौरान 21 से 33 वर्ष की महिला का चयन किया जाता है, जिसके स्वयं के बच्चे हो यानि प्रजनन क्षमता अच्छी हो, ऐसी महिला को हॉर्मोन के इंजेक्शन देकर अण्डे तैयार किए जाते है।

प्रक्रिया-